मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी motorcycle and rat race of life

Life without race

आप अभी ऊपर का शीर्षक देखकर समझने की कोशिश कर रहे होंगे, मतलब क्या है इसका मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी ( Motor Cycle and rat race of life) का। आगे का ब्लॉग पर अपना नज़र फ़रमाए, धीरे धीरे  स्पष्ट हो जाएगा।

हम आते है चूहे की दौड़/होड़  वाली बात पर। जब भी बाइक पर मैं अपने रफ़्तार में चलता हूँ, बिना किसी चीज़ का तनाव लिए तो उस समय सफ़र तय करने का अलग ही आनंद आता है। गंतव्य स्थल पर भी खुश मन से पहुँचता हूँ। परंतु जब कोई दिमाग़ में तनाव आए रास्ते में जैसे की कोई आपको ओवर टेक कर लिया, हॉर्न मार दिया या कोई ग़लत साइड में गाड़ी चला दिया, तो इन तनाव की वजह दिमाग़ ग़ुस्से और तनाव से भर जाता है। वो आनंद महसूस नहीं होता, जो पहले आता था। दिमाग़ में ग़ुस्सा भरा लेकर, गरियाते हुए पहुँचता हूँ ऑफ़िस । इसमें मेरे पास दूसरा भी ऑप्शन था, मैं इन छोटी छोटी बातों को इग्नोर कर देता, दूसरों की इन ग़लतियों को अनदेखा कर देता, अच्छि चीजों की तारीफ़ करते हए आगे बढ़ता रहता तो शायद उस दिन भी मैं आनंद में रहता और हैपी मूड में ऑफ़िस पहुँचता।

एक दिन का उदाहरण देता हूँ। मेरी मोटर साइकल जो है अपने सेग्मेंट में बेहतर बाइक है। और सामान्यतः कई बार जाने अनजाने से मैं तेज ही चलता हूँ। बहुत सारी बाइकों या कारों को बिना नोटिस किए ही  ओवर टेक कर जाता हूँ। उतना ध्यान भी नहीं जाता। लेकिन जब कोई और बाइक वाला या कार वाला मुझे ओवर टेक करता है, तो मेरा ध्यान ज़रूर उस तरफ़ जाता है, अच्छा बच्चू मुझे ओवर टेक करोगे? रुक जाओ दिखाता हूँ। फिर क्या,  दाया पैर का  गीयर बॉक्स के ऊपर और हाथ का  एक्सिलरेटर के ऊपर अत्याचार  प्रारम्भ, फट फ़ैट की आवाज़ और तेज और शुरू हो  जाती है रेसिंग सामने वाले से। कभी वो आगे तो कभी मैं। कभी क्लच तो कभी ब्रेक , कभी दाये झुकना तो कभी बायें। कॉम्पटिशन लगा हुआ है।चालू हो गया motorcycle and rat race और इसी तनाव और उत्तेजना में कब ऑफ़िस आ गया पता ही नहीं चला।फिर सोचता हूँ यार आज का सफ़र enjoy कर सकता था, इस दौड़ और रेसिंग में आनंद उठा नहीं पाया।  पूरा रास्ता आज होड़ के तनाव में की काट गया। मैं रास्ते के सफ़र का आनंद उठा सकता था, अगर मैं  अपनी रफ़्तार से चल रहा होता और इस होड़ में नहीं पड़ता तो। पहुँचना तो एक ही जगह है।चाहे 5 मिनट लेट या पहले। चाहे रेस लगा के पहुँचो या अपनी रफ़्तार से। आनंद से पहुँचो या ग़ुस्सा और तनाव में। इसमें चुनाव तो मुझे ही करना है। और मुझे लगता है कि चुनाव आनंद वाले का ही होगा। 

मैं रोज़ाना ही कोरोना काल में घर से ऑफ़िस और वापसी मोटर साइकल से करता हूँ। पहले तो कभी कभी ट्रेन से भी जाता था, पर अब तो मजबूरी है रोज़ ही दुपहिया की सवारी का आनंद ज़बरदस्ती उठाना पड़ता है। हाँ यहाँ पर ध्यान दीजिएगा “ ज़बरदस्ती का आनंद”। बहुत से ज्ञानी लोगों को सुना होगा आपने, बोलते है आनंद और ख़ुशी तो सबके अंदर बराबर भरा है, तुम डुबकी मारो जितना ख़ुशी और आनंद निकाल  सकते हो निकालो। ये मैं अपने अनुभव से कह रहा हूँ। जब भी मैं अपने वाहन से निकलता हूँ तो आस पास के माहौल की कभी कभी तारीफ़ कर लेता हूँ। जैसे की कही रास्ते में कई सारे पेड़ आ गए, पार्क दिख गया, तो उनकी ख़ूबसूरसती की तारीफ़।कि वाह क्या सुंदर माहौल है,क्या बढ़िया नज़र है। वाक़ई में आप विश्वास नहीं करेंगे, उस समय बहुत आनंद की अनुभूति होती है, बेमतलब ही, पर अच्छा लगता है। रास्ता आनंद से कटता है।

बीना rat race में पड़े आगे बढ़े

फिर इसी से मुझे ध्यान आया, कि भाई साहब अपनी ज़िंदगी में भी तो कई बार ऐसा होता है। अगर एक बार के लिए हम अपने जीवन को मोटर साइकल का तय किया जाने वाले रास्ता मान ले तो? जैसे कि जब घर मैं शुरू करता हूँ उसको मानलूँ अपना जन्म, ऑफ़िस गंतव्य स्थल – मृत्यु, और बीच का रास्ता अपनी ज़िंदगी। इस ज़िंदगी में धूप भी है। अच्छी छाँव वाले पेड़ भी है। दिमाग़ को तनाव देने वाले और लोग भी ।

इस बीच के रास्ते/ या ज़िंदगी को मैं अपने तरीक़े से जी सकता हूँ, पार कर सकता हूँ , छोटे छोटे पहलुओं को अनदेखा करते हुए,   ऊपर वाले का धन्यवाद करते हुए, और जो भी मेरे पास है और आस पास है उसकी प्रशंसा करते हुए। गंतव्य पर तो पहुँचना ही है आख़िर में सबको , बस अंतर यही है कि उस रास्ते को कैसे तय किया जाए।जीवन में सकारात्मक स्पर्धा आवश्यक है परंतु होड़ और चूहे की दौड़ ( rat race) नहीं। अपनी खुद की रफ़्तार पर सफ़र काटिये।ख़ुशी और आनंद अपने भीतर है। जीवन की छोटी छोटी चीजों में भी आनंद ढूँढा जा सकता है।

इसके लिए कभी कभी Escapist (पलायनवादी ) होना कोई ख़राब नहीं है। Escapism वो जब आप रोज़ रोज की चैं चैं और झक झक से कही और रम जाते है।Escapism (पलायनवाद ) के बारे में आप यहाँ क्लिक करके और जान सकते है। मुझे आशा है कि मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी ( Motor Cycle and rat race of life) का मतलब आप समझ गए होंगे।

2 thoughts on “मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी motorcycle and rat race of life”

  1. Pingback: yellagiri-motor cycle tour to support locals- येल्लागिरी मोटर साइकल यात्रा हिंदी में

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *