अंत हुआ कहाँ है अभी। मरना तो एक दिन सभी को है दोस्त, मगर मरने से पहले क्यों मरें। औंकार जिसको आजीवन सेवा और त्याग समझता रहा, वो तो कदाचित स्वार्थ का ही एक रूप था। वो सब कुछ अपने बेटों के लिए यही सोचकर तो करता रहा कि एक दिन उसे भी उसका लाभ मिलेगा। ये सेवा नहीं, व्यापार था जिसमें उसको नुकसान हुआ था।