Explainations

explanation of current events and situations happening around.

किसान आंदोलन 2020-21 केवल पंजाब और हरियाणा में ही क्यू केंद्रित है

Why farmer protest in punjab and hariyana only

किसान आंदोलन 2020-21 इस लेख में हम केवल इस बात पर चर्चा करेंगे कि केवल पंजाब और हरियाणा में ही क्यू केंद्रित है किसान आंदोलन ( Why farmer’s protest is centred around only in Punjab and Hariyana)।

Naoroji-Pioneer of Indian Nationalism summary नौरोज़ी- भारतीय राष्ट्रवाद के अग्रदूत किताब संक्षेप

Naoroji book summary in hindi

1906 में जब कांग्रेस में गरम विचार धारा और नरम विचार धारा वाले लोगों की वजह से कांग्रेस दो भाग में बटने वाली थी। तब दादा भाई को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।इनके नाम पर सबकी सहमति थी। गरम दल वाले इनको अपनी विचार धारा का मानते थे क्यूँकि स्वदेशी, और भारतीय अर्थवस्था, और स्वराज को लेकर उनके विचार आपस में मिलते थे। नरम विचार धारा वाले इनको अपना मानते थे क्यूँकि ये सबको मिलकर चलने वाले व्यक्ति थे, ब्रिटिश राजनीति में बड़े बड़े लोगों से इनकी जान पहचान थी और बहुत सारे मुद्दे बिना आंदोलन के ही सुलझा लेते थे।

Reason of war between Armenia and azerbaijan -आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध नगोर्नो- कारबाख क्षेत्र को लेकर-कारण

Armenia and azerbaijan war

इसका विवाद लगभग 1918-20 के पास से चला आ रहा है। अरमेनियन ईसाई बहुसंख्यक जनता और अज़रबैजान की मुस्लिम बहुसंख्यक जनता के बीच में। अज़रबैजान की बहुसंख्यक मुस्लिम जनता अपने आप को तुर्क मानती है, और वर्तमान के तुर्की देश से इनका अच्छा सम्बंध है। ख़ैर 1920 के आसपास नगोर्नो-कारबाख का विवाद उभरा था दोनो देशों के बीच में। 1920 में ये दोनो देश सोवियत संघ का हिस्सा बन गए थे। और तत्कालीन सोवियत संघ के रास्ट्रपति स्टैलिन के सामने कोई भी ये विवाद और आगे उठाने की हिम्मत ना कर सका।

कृषि क़ानून 2020 के ख़िलाफ़ किसान प्रदर्शन का कारण -farmers protest against Government

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अभी हाल में आपने देखा होगा की मुख्यतः पंजाब और हरियाणा के किसान, सांसद द्वारा पास क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हेतु सड़कों पर उतर आए है। विपक्षी दलो द्वारा 25 september 2020 को भारत बंद का आह्वाहन किया गया। इन किसान विरोधों के पीछे मुख्य और छिपे हुए क्या कारण है? इस लेख हम इस पर विस्तार से जानेंगे।

Foreign Contribution (Regulation) Act 2010 [ विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2010]

अभी हाल ही में समाचारों के माध्यम से आपको मालूम हुआ होगा कि कई सारे NGOs का Foreign Contribution (Regulation) Act 2010 यानि की FCRA के अंतर्गत लाइसेन्स रद्द कर दिया गया है। भारतीय गृह मंत्रालय ने उनका FCRA सर्टिफ़िकेट रद्द करते हुए बैंक खातों को ज़ब्त कर लिया। क्या है FCRA ( what is …

Foreign Contribution (Regulation) Act 2010 [ विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2010] Read More »

भारत और नेपाल का कालपानी सीमा विवाद ( दोनो देशों के नज़रियों से ) India and nepal Kalapani dispute

यह लेख नेपाल और भारत की बीच कालापानी के ऊपर केंद्रित है। जिसमें दोनो पक्षों की बात को लेखक द्वारा रखने की कोशिश की गयी है।

पी वी नरशिम्हा राव और 1991-92 के आर्थिक सुधार

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1947 से 1991 के बीच में कई सारे देशों ने अपनी अर्थ्व्यस्था को मिश्रित या सोशलिस्ट से धीरे धीरे पूंजीवाद की तरफ़ मोड़ना शुरू कर दिया। इन देशों को आज भी asian tigers के नाम से जाना जाता है जैसे की सिंगापुर, मलेसिया, वियतनाम और थाइलैंड इत्यादि । चीन जो कि कॉम्युनिस्ट देश है उसने भी अपनी सरकार तो कॉम्युनिस्ट रखी परंतु अपनी आर्थिक व्यस्था को पूरी तरह से पूंजीवाद में बदल दिया। इन देशों ने ये सब कदम 1965-75 के बीच में उठाए थे। इन देशों ने अपने देश के बाज़ार को बाहरी निवेश तथा समानो के लिए खोला, इंदुस्त्रीयल नितियो में बदलाव, मज़दूर क़ानून में ढील देना प्रारम्भ कर दिया । इससे बाहर की कम्पनीज़ से निवेश तथा कारख़ाने इन देशों में लगना शुरू हो गए। जिससे रोज़गार, टैक्सेशन और निर्यात का अवसर बहुत ही बढ़े स्तर पर बढ़ गया । भारत में भी आर्थिक सुधारो के लिए सुगबग़ाहट चलना प्रारम्भ हो गई। परंतु भारत में उस समय तक या कुछ हद तक आज भी आर्थिक सुधारो को गरीब विरोधी की तरह देखा जाता है । कोई भी सरकार कुछ इस दिशा में कोई कदम उठाती तो विपक्ष या वाम पंथ के अर्थ शास्त्री उन पर टूट पड़ते तथा जनता में उनका ग़लत रूप प्रस्तुत किया जाता। कोई भी सरकार 1991 तक इस दिशा में कोई सख़्त कदम नही उठा सकी । हालाँकि बीच बीच में छोटे मोटे निर्णय समय के हिसाब से लिए जा रहे थे परंतु वो सारे कदम नाकाफ़ी थे ।

new education policy 2020 नई शिक्षा निति 2020

अभी तक हमरी शिक्षा पद्धति उनलोगो को पुरष्कृत करती थी जो रटन्त विद्या में माहिर थे तथा रट्टू माध्यम से अधिक नंबर लाते थे परन्तु अब इस नयी निति में परीक्षाओ को आसान बनाया जायेगा जो आपकी याददास्त और रटंत विद्या नहीं बल्कि आपके core knowledge या कोर competency को टेस्ट करेगी. बोर्ड एग्जाम अब साल में एक बारे की बजाय दो बार कराये जायेंगे