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रीढ़ की हड्डी (Your Stand)

रीढ़ की हड्डी your stand

एक तरह से देखे तो उसका ये सब मुख्य स्टैंड उसके जीवन के केंद्र बिंदु की तरह है। जो हमेशा अडिग और अमिट  रहता है। उसके आसपास के लोग उस केंद्रबिंदु के चारों तरफ़ बने हुए वृत की परिधि की तरह होते है। समय समय पर इस वृत की परिधि का आकार घटता बढ़ता रहता है।

ट्रेन और जीवन

छोटी सी लम्बी ये ट्रेन यात्रा है, लेकिन उतरना तो सबको है। लेकिन जब तक यात्रा में है, तब तक मज़े से किया जाए। हँसते खेलते कट जाए रस्ते। 

Yogi on a Bike

aajkayouth

ज़िंदगी ऐसी लगती है जैसे कुछ समय तक के लिए ठहर गई थी । मुझे ना अपने बीते हुए कल कि चिंता है, ना आने वाले कल की। क्यूँकि इस समय ध्यान पूरा एक ही जगह केंद्रित रहता है। और मेडिटेशन या ध्यान का यही लक्ष्य तो है, ध्यान एक जगह केंद्रित करना।

मंज़िलो से खूबसूरत रास्ते हैं- कोडाइकनल

Kodaikanal

रास्तों के एक तरफ़ ऊँचे पहाड़ तो दूसरी तरफ़ गहरी खाई। जहां तक नज़र का विस्तार है वहाँ तक जंगल ही जंगल। और नज़र ऊपर जाए तो बादलों के अंदर ढँकी हुई पहाड़ की चोटियाँ। इन रास्तों से हटकर भी बहुत सारे छोटे मोटे रास्ते निकल रहे थे। देखने से काफ़ी दुर्गम और ऊँची चढ़ाई वाले मालूम पड़ते थे। हम लोग तो इन रास्तों पर अपनी कार भी ले जाने से डर रहे थे। कही उल्टे कार नीचे डगरने लगे तो

मेरा शहर बदल रहा है

मेरा शहर

मेरा शहर- कल तक चंदू जिस जगह पर चाट बेचता था, वहा एक मॉल बन गया है।चंदू अब अपना ठेला छोड़कर कम्पनी की टी शर्ट और टाई पहन कर उसी दुकान में काम करता है। पहले जहाँ मालिक था वही नौकर बन गया है।

yellagiri -motor cycle ride to support local people येल्लागिरी-मोटर साइकल यात्रा स्थानीय लोगों में आशा जगाने के लिए

A ride to Yellagiri

येल्लागिरी टाउन में पहुचने पर मुझे ऐसा लगा कि हम लोगों के ग्रूप को देखकर वहाँ के स्थानियो के चेहरों पर हल्की हल्की मुस्कान तैरने लगी है। थोड़ा थोड़ा आशा जागने लगा कि चलो लॉक डाउन के बाद अब सैलानी आने लगे है। हमारी स्थिती में अब कुछ तो सुधार होगा। और असल में हमारी यात्रा का मक़सद भी तो यही था।

मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी motorcycle and rat race of life

Life without race

यह ब्लॉग मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी motorcycle and rat race of life के ऊपर है। मैं रोज़ाना ही कोरोना काल में घर से ऑफ़िस और वापसी मोटर साइकल से करता हूँ। पहले तो कभी कभी ट्रेन से भी जाता था, पर अब तो मजबूरी है रोज़ ही दुपहिया की सवारी का आनंद ज़बरदस्ती उठाना पड़ता है। हाँ यहाँ पर ध्यान दीजिएगा “ ज़बरदस्ती का आनंद”। अगर एक बार के लिए हम अपने जीवन को मोटर साइकल का तय किया जाने वाले रास्ता मान ले तो?

क्या मैं Escapist (पलायनवादी ) हूँ?

man sitting near camping and looking at mountain view

इतना सब इधर उधर भाग दौड़ करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। परंतु समस्या यही है कि जब भी हम कोई वर्तमान काम करते है तो हमें अच्छाई और बुराई दोनो पता होता है। जब की नए काम की सिर्फ़ और सिर्फ़ अच्छाई पता होती है। उसकी बुराइयों पर या तो हम ध्यान नहीं देते है या फिर फिर जान बुझ कर उन्हें नकार देते है। फिर जब नए काम शुरू करते है तो यही बुराइयाँ और ख़राब लगने लगती है और ध्यान फिर भटकने लगता है नए काम की तरफ़।