टिप टिपवा का डर

Tip tipwa

ना आग के डर ना ना बाघ के  डर सबसे बड़ डर टिप टिपवा क।

अगस्त महीने का आख़िरी हफ़्ता चल रहा था। बारिश का मौसम।कोई भरोसा नहीं कब बारिश हो रही है कब धूप। रोज़ की तरह आज भी बदल छाए हुए थे। लग रहा था बारिश की बूँदे बादलों में लटकी हुई हो। और नीचे गिरने के लिए बेताब हो रही हो। पर बादलों का तनाव उन्हें रोके हुए था। 

जंगल के बाहरी सीमा पर स्थित एक गाँव। जंगल में तरह तरह के जानवर। उन जानवरो में एक दो बाघ भी थे। गाँव के सबसे किनारे लगभग जंगल वाले छोर पर एक परिवार रहता था। परिवार में पति रामू, उसकी पत्नी धनिया और एक गदहा था। एक दिन ऐसा हुआ की शाम ढलने के बाद भी उनका गदहा बाहर से घूम फिर कर नहीं आया। धीरे धीरे घड़ी के काँटे ऊपर खिसकने लगे। रात और गहराती चली गई। पति पत्नी लगातार इंतज़ार करते रहे पर उनका गदहा अभी तक नहीं लौटा था। कमाई का एक ही साधन था, गदहा और उससे होने वाली ढुलाई। जैसे जैसे रात ढलते जा रही थी दोनो की चिंता और बढ़ती जा रही थी।

Tip tipwa ka dar
Tip tipwa ka gao

पति रामू अपनी पत्नी से बोला की वो बाहर जंगल में जाएगा। और गाव और जंगल में जाकर अपने गदहे को ढूँढेगा। पत्नी को डर था, कि  जंगल में बाघ घूमता है। ख़तरनाक बाघ, जिसे देख कर अच्छे अच्छे शिकारी भाग खड़े होते थे।उसने अपने पति रामू को चेताया। और बोला कि रात का समय है, जंगल में ना जाओ वहा बाघ घूम रहा होगा। तुमको शिकार बना लेगा। रामू बाघ का नाम  सुनते ही तैश में आ गया और बोला “ना आग के डर ना बाघ के डर, सबसे बड़ डर टिप टिपवे क।”  उसी समय जंगल का बाघ भी  उनके घर के पास से गुजर रहा था। यह बात उस बाघ ने भी सुनी ‘ना आग के डर ना बाघ के डर, सबसे बड़ डर टिप टिपवे क’। 

यह बात सुनकर बाघ सोच में पड़ गया। अरे भई ये कौन सा दानव है टिप टिपवा जिसके सामने आग और बाघ दोनो बेकार है। यह आदमी बोल रहा है कि उसे बाघ से डर नहीं है। उसको डर है सिर्फ़ टिप टिपवा से। यह ज़रूर कोई भयंकर दानव या राक्षस होगा जिसका नाम है टिप टिपवा। यह टिप टिपवा बहुत ही बलशाली और ख़तरनाक होगा इसलिए इस इंसान को इससे डर लगता है। भगवान करे मेरा सामना कभी इस टिप टिपवे से ना हो। हे भगवान रक्षा करना।

Tip tipwa

दर-असल में रामू उस समय ‘टिप टिपवा’ लगातार हो रही बारिश को कह रहा था। चूँकि अगस्त का महीना था, और बारिश कभी भी हो रही थी, बंद हो जा रही थी। और कभी कभी लगातार टिप टिप करके घंटो बरसे जा रही थी। इसी बारिश को लेकर रामू अपनी पत्नी से कहता है कि सबसे बड़ा डर इसी टिप टिप करती हुई बारिश का है। भगवान करे इस टिप टिप बारिश से पाला ना पड़े।और फिर अपनी पत्नी से बोलता है “ना आग के डर ना बाघ के डर, सबसे बड़ डर टिप टिपवे क”। यह बोलते हुए रामू अपने हाथ में लट्ठ लिए गधे को ढूँढने निकल पड़ा।

बाघ तो यह सब सुन ही रहा था कान लगा के। मन ही मन मना रहा था कि इस टिप टिपवे से कभी मुलाक़ात ना हो। बाघ इसी उधड़ बीन में खोया हुआ होता है तभी इस अंधेरे में  रामू टकराता है बाघ से। घुप्प अंधेरा होने की वजह से रामू को लगा कि वही उसका गधा है। बस फिर क्या था, रामू उछल कर बाघ के ऊपर बैठ गया। एक हाथ से ज़ोर से उसका कान पकड़ा, दूसरे हाथ से लाठी मारी और पैर से उसके पेट में। फिर बोला चल वापस घर, ना जाने कब से  घूम रहा है। अचानक पड़ी मार से बाघ सकपका गया। उसे पता भी नहीं लगा कि उसके ऊपर कौन सवार हो गया है।और इतनी बुरी तरह से पीट रहा है। बाघ को लगा हो ना हो ये टिप टिपवा ही है जो आज मेरे ऊपर सवार हो गया है।

Bagh ki pitai tip tipwa dwara

टिप टिपवा की भयंकर मार से  डरके बाघ लगा भागने अपने घर जंगल की तरफ़।जबकि रामू उसको और मारता घर की तरफ़ चलने के लिए। बाघ भागता जंगल की ओर, रामू उसे पीटता घर की ओर के लिए। पिट पिट के बाघ परेशान हो गया। उसकी इतनी पिटाई हुई की अंग अंग दुखने लगा।भगवान से प्रार्थना करने लगा, हे भगवान अबकी बचा लो इस टिप टिपवे से, इधर कभी भूल कर भी नहीं आऊँगा। इधर बाघ प्रार्थना किए जा रहा था और उधर  रामू लगातार लट्ठ से  पिटाई किए जा रहा था। 

ऐसे करते करते कई घंटे निकल गए। बाघ पूरी तरह से लस्त पस्त हो चुका था। और रामू की लट्ठ थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी। पूरी रात के जद्दोजहद के बाद सुबह होने को आई। बाघ अभी भी बिना रुके भागते जा रहा था। सुबह की हल्की रोशनी में रामू की नज़र नीचे पढ़ी। उसने देखा जिस पर बैठ कर रात भर पीटा था वो उसका गधा नहीं बल्कि बाघ था। रामू की साँस अटक गई। अब तो गए काम से। उसने आँव ना देखा ताव फटाक से एक लटकती टहनी को पकड़ लिया। और पेड़ पर चढ़ कर उसकी खोह में छुप गया।

बाघ ने देखा उसकी पीठ पर से बोझ हट गया। थोड़ी दूर जाकर एक पेड़ के नीचे हाँफते हुए सुस्ताने लगा। भगवान को धन्यवाद देने लगा। हे प्रभु आपने मेरी सुन ली। टिप टिपवा से आख़िर  में मुझे बचा लिया। आपने देर कर दी लेकिन कोई बात नही मेरी जान तो बचाई।

Monkey in tip tipwa

उसी पेड़ पर बैठा एक बंदर यह सब देख रहा था। कि कैसे रामू उस बाघ को दूर से पिटते हुए लाया है। और कैसे उछल कर पेड़ की खोह में जाकर छिप गया है। नीचे बाघ की दशा देख कर उसे खूब हंसी आयी। वो नीचे आया, हाँफते और परेशान बाघ के सामने जाकर  तेज से पेट पकड़ कर हसने लगा। बाघ बोला क्यों बंदर भाई मेरी दशा देख कर तुझे हंसी आ रही है? अच्छा हुआ अभी तक तेरा पाला टिप टिपवा से नहीं पड़ा। जिस दिन टिप टिपवा तेरे ऊपर सवार होगा उस दिन तुझे पता लगेगा। तेरी सारी हंसी निकल जाएगी। हे भगवान मेरे दुश्मनो का भी पाला इस दुष्ट टिप टिपवा से ना पड़े।

बंदर यह सुनकर और तेज तेज से हसने लगा। बोल अरे बाघ भाई वो टिप टिपवा नहीं था वो बग़ल के गाव वाला रामू है। जो तुमको रात भर पीटा है। और सुबह होते ही तुम्हें देखकर तपाक से  उस पेड़ की खोह में छुप गया है। बाघ को लगा बंदर झूठ बोल रहा है। उसका मज़ाक़ उड़ा रहा है। उसकी बात पर उसे तनिक भी भरोसा नहीं आया। बंदर अभी भी बार बार हसे जा रहा था। वो बाघ को बार बार समझा रहा था। पर उसकी बात पर बाघ को तनिक भी विश्वास नहीं था।

बंदर बोला लगाओ शर्त, मैं अभी दिखाता हूँ। कि वो टिप टिपवा नहीं रामू है। बाघ को लगा चल बेटे बंदर तू भी इसी बहाने टिप टिपवा का स्वाद चख ले। बहुत हंसी आ रही है, जा निकाल के दिखा टिप टिपवा को खोह में से। जिसे तू रामू बोल रहा है वो असल में टिप टिपवा है। तुझे भी पता चल जाएगा। 

Monkey and tiger

बंदर हसते हसते लोट पोट हो रहा था। बोला ठीक है, अभी जाता हूँ और तुम्हारे टिप टिपवे को अपनी पूँछ से बाँधकर नीचे ले आता हूँ। तब तुमको भरोसा होगा। खोह के अंदर बैठा रामू यह सब सुन रहा था। डर के मारे उसकी सिट्टी पिट्टी गुम थी। सोचने लगा अब तो ये बंदर मुझे पकड़ के निकालेगा।और नीचे ले जाकर बाघ मुझे मार कर खा जाएगा। बंदर बड़े आराम से कॉन्फ़िडेन्स के साथ चलते हुए उस पेड़ के पास गया। और फ़र्र से उस पेड़ पर चढ़ गया। खोह के पास जाकर उसने देखा, काफ़ी गहरा था। कोई दिख नहीं रहा था। उसने बाहर से आवाज़ लगाई। पर रामू क्यू जवाब दे, डर के मारे तो वो पहले से ही थर्रा रहा था। बंदर बोला, ठीक है बच्चू तुम ऐसे नहीं निकलोगे। तुमको पूँछ से बाँधकर निकालता हूँ।

बंदर अपनी लम्बी पूँछ डाल कर खंगालने लगा। तभी उसकी पूँछ किसी आदमी को छुई। अब बंदर और तेज से पूँछ अंदर घुमाने लगा। रामू बहुत डरा, और डर के मारे उसकी पूँछ पकड़ ली। पूँछ पकड़ कर अंदर खिचने लगा। बंदर ने भी ज़ोर लगाया। लेकिन रामू इतनी आसानी से कहा बाहर आने वाला था। जितना जोर बंदर बाहर खीचने के लिए लगता। उतने ही ज़ोर से रामू अंदर खिचता।कभी बंदर नीचे खिसकता तो कभी रामू उसकी पूँछ से उसे ऊपर खिचता।खिचा खिची लगातार काफ़ी देर तक चली। इस खींच तान में बंदर की पूछ लहू लुहान हो चुकी थी।बंदर और रामू दोनो थक चुके थे। काफ़ी देर के बाद अब बंदर परेशान हो चुका था। बाघ उसे दूर से देख कर मन ही मन मुस्कुरा रहा था। बोला था ना मैंने कि टिप टिपवा है, तू माना नहीं ले अब भुगत। 

Monkey and tiger

इधर बंदर और रामू में खींच तान लगातार जारी थी। बंदर ने खूब जोर लगाई।उतना ही जो रामू ने भी अंदर से लगाया। अचानक से उसके हाथ से पूछ छूटी और बंदर धड़ाम से नीचे मुँह के बल गिरा। गिरते ही उसके दाँत टूटकर ज़मीन पर बिखर गए। टूटी पूँछ और टूटे दाँत लेकर वो भागते हुए बाघ के पास आया। बोला बाघ भाई तुम सही थे।अंदर टिप टिपवा ही है। भगवान ना करे इससे पाला कभी पड़े। चलो भागो यहा से नहीं तो अब टिप टिपवा बाहर आकर हम दोनो की जान ले लेगा। बाघ और बंदर दोनो दुम दबाकर वहा से भाग लिए।

Monkey falling from tree

रामू की हालत भी अंदर ख़राब थी। जैसे ही पता चला की बाघ और बंदर दोनो यहा से भाग गये है। वो चुपके से वहा से निकला और घर की तरफ़ दौड़ लगा दी। साथ ही साथ शुक्रिया करता जा रहा था टिप टिपवा की। आज टिप टिपवे की वजह से उसकी जान बच गई। घर पहुँचा तो देखा उसकी पत्नी सो रही थी।और उसका गधा भी घर के अंदर मस्त चारा खा रहा था।

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3 thoughts on “टिप टिपवा का डर”

  1. बचपन में एक दो बार पांच रुपये वाली कहानियों की छोटी छोटी किताबों में टिप टिपवे से मुलाकात हुई थी और गज़ब मजा आया था। आज इतने दिनों बाद टिप टिपवे से फिर मुलाकात करके फिर वही मजा आया। मुलाक़ात कराने के लिए धन्यवाद रवि भाई।

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