हिम्मत ए मलखान

मलखान कहानी

हिम्मत ए मलखान। इससे पहले 1898 तक मैं  बनारस के राजा का तहसीलदार था। रुतबा बहुत ज़्यादा था मेरा। शान और शोहरत पूरे इलाक़े में फैली हुई थी।अभी रक्षाबंधन बीते हुए कुछ ही दिन हुए। जिन बहनो की रक्षा की लिए हाथ में सूत्र बाँधा  था। आज उन्ही बहनो को मेरे दुश्मनो उठा कर ले जाने की धमकी दे रहे है।