Poems By Sagar

In this category one can find poems written by Sagar. Sagar contributes to this website with his poems.

समय मैं याद करता हूँ

समय मैं याद करता हूँ जिगर के उस तरावट को जो तुझको पीके मिलती थी कि जिससे प्यास बुझती थी जब तुम थे मेरे दरम्यां मेरी नस नस में बहते थे तुम मुझमें पिघलते थे कि जैसे बर्फ पानी में मुझी में घुलके रहते थे समय मैं याद करता हूँ मेरी ही उम्र के तुम …

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July month

In the month of july

Today, woke up early in the morning, it never happened quite in a while
Something was remarkable about today; I didn’t know it is month of July.

समय! अब तुम कहाँ हो

तुम तो दोस्त थे दुश्मन भी थे हरसू4 निहां5 थे
तुम तो भूख में थे प्यास में थे हर जगह थे
तुम थे आँसुओं में खुशी में ख़्वाब-गाह में
हरेक मौसम में तुम थे तुम हर एक समां में
तुम्हीं तन्हाई में थे तुम हर कारवाँ थे

तुम

किसी रात इक ख़्वाब था उतरा
लेकर अपना ताना – बाना
फूल सितारे रंग सभी से
गुनने बुनने एक तराना
पलकों पर यूं दस्तक़ देकर
कानों में एक बात सुनाकर
आध – अधूरा पैकर1 बुनकर
फिर जाने वो किधर उड़ा था