Month: October 2020

पीढ़िया उपन्यास का सार संक्षेप

पीढ़िया pidhiya

इस उपन्यास पीढ़िया की शुरुआत होती है लगभग 1985- 86 में जब तक दिल्ली में सिख दंगे हो चुके है। पंजाब में आतंकवाद अपने चरम सीमा पर है। शाह बानो मामला और अयोध्या मंदिर का ताला खुलने के कारण हिंदू और मुस्लिम जनता में तना तनी का माहौल बना हुआ है। इन सबके परिपेक्ष में उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार प्रदेश के महान स्वतंत्रता सेनानी श्री जयंत टंडन जी की जन्म शताब्दी मनाने की तैयारी कर रही है।

आषाढ़ का एक दिन -नाटक का सारांश

आषाढ़ का एक दिन नाटक का सारांश

आषाढ़ का एक दिन कविराज कालिदास और मल्लिका की प्रेम कहानी पर रचित नाट्य है। दोनो के बीच बहुत प्रेम था। परंतु कालिदास विवाह के बंधन में नहीं बधना चाहते थे। और मल्लिका भी निस्वार्थ प्रेम के चलते कालिदास से कभी भी किसी बंधन में बंधा देख नहीं सकती। कालिदास ने ऋतु संहार की रचना की। कुछ समय के बाद ही कालिदास की रचना ऋतु संहार इतनी प्रसिद्ध हो गई उसको पढ़ने के बाद उज्जैन के राजा भी कालिदास और उनके काव्य के क़ायल बन गए।

yellagiri -motor cycle ride to support local people येल्लागिरी-मोटर साइकल यात्रा स्थानीय लोगों में आशा जगाने के लिए

A ride to Yellagiri

येल्लागिरी टाउन में पहुचने पर मुझे ऐसा लगा कि हम लोगों के ग्रूप को देखकर वहाँ के स्थानियो के चेहरों पर हल्की हल्की मुस्कान तैरने लगी है। थोड़ा थोड़ा आशा जागने लगा कि चलो लॉक डाउन के बाद अब सैलानी आने लगे है। हमारी स्थिती में अब कुछ तो सुधार होगा। और असल में हमारी यात्रा का मक़सद भी तो यही था।

मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी motorcycle and rat race of life

Life without race

यह ब्लॉग मोटर साइकल और चूहे की दौड़/होड़ वाली ज़िंदगी motorcycle and rat race of life के ऊपर है। मैं रोज़ाना ही कोरोना काल में घर से ऑफ़िस और वापसी मोटर साइकल से करता हूँ। पहले तो कभी कभी ट्रेन से भी जाता था, पर अब तो मजबूरी है रोज़ ही दुपहिया की सवारी का आनंद ज़बरदस्ती उठाना पड़ता है। हाँ यहाँ पर ध्यान दीजिएगा “ ज़बरदस्ती का आनंद”। अगर एक बार के लिए हम अपने जीवन को मोटर साइकल का तय किया जाने वाले रास्ता मान ले तो?

Reason of war between Armenia and azerbaijan -आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध नगोर्नो- कारबाख क्षेत्र को लेकर-कारण

Armenia and azerbaijan war

इसका विवाद लगभग 1918-20 के पास से चला आ रहा है। अरमेनियन ईसाई बहुसंख्यक जनता और अज़रबैजान की मुस्लिम बहुसंख्यक जनता के बीच में। अज़रबैजान की बहुसंख्यक मुस्लिम जनता अपने आप को तुर्क मानती है, और वर्तमान के तुर्की देश से इनका अच्छा सम्बंध है। ख़ैर 1920 के आसपास नगोर्नो-कारबाख का विवाद उभरा था दोनो देशों के बीच में। 1920 में ये दोनो देश सोवियत संघ का हिस्सा बन गए थे। और तत्कालीन सोवियत संघ के रास्ट्रपति स्टैलिन के सामने कोई भी ये विवाद और आगे उठाने की हिम्मत ना कर सका।